C प्रोग्रामिंग भाषा के इतिहास हिंदी में जाने | History of C Programming Language in Hindi

By author image icon आशुतोष कुमार

दिनांक : February 21, 2023

 


नमस्कार दोस्तों,

                आज के इस पोस्ट में मैं आपको c प्रोग्रामिंग भाषा के बनने का इतिहास बताऊँगा कि की c प्रोग्रामिंग भाषा पहली बार लोगों के सामने कैसे आयी? इसके बनाने वाले कौन व्यक्ति हैं ? ऐसी तरह के प्रश्न के उत्तर आपको इस पोस्ट में c  के बनने की  इतिहास के क्रमिक विकाश के उल्लेख के दौरान पता चल जायेंगा।

आज के समय कंप्यूटर के दुनिया में बहुत सरे प्रोग्रामिंग भाषाये मिल जाएँगी। जैसे की Java, Python, Lua , Dart, JavaScript, C++ इतियादी। लेकिन जब c प्रोग्रामिंग का अविष्कार हो रहा था तब मात्र गिने चुने प्रोगरामिंग भाषा होती थी जो किसी खाश काम के purpose को पूर्ण करने के लिए बनायीं गयी थी जो प्लेटफार्म पर निर्भरता को आश्रित होता था। 

ऐसी लिए c को general purpose प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के तौर पर बांया गया था। जिसमे में थोड़ी परिवर्तन क्र दूसरी मशीन पर भी चलाई जा सकती हैं। जैसे java भी तो platform independent भाषा ही हैं। 

आज जितने भी कंप्यूटर अथवा कंप्यूटिंग डिवाइस ही अधिकांश के c प्रोग्रामिंग के जरिए system प्रोग्राम लिखे  होते हैं। C एक middle level language हैं। जो devices के हार्डवेयर को अन्य प्रोग्रामिंग लाग्नुअगे के तुलना में ज्यादा अच्छा से access कर पाता हैं।

 

History Of C Programming Language 
c प्रोग्रामिंग भाषा की इतिहास 

 

लैब्रटॉरी c प्रोग्रामिंग भाषा हैं जिसे AT's  & Bell के USA में 1972 में develop किया गया था। यह design और लिखा गया था Dennis Ritchie . दूसरे अन्य pascal programming language के तुलना में जायदा सटीक तरह से control करती थी input  और output को। 


1960 के दौर में अनेक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज सामने आया और प्रत्येक किसी ख़ास purpose के लिए था। जैसे के COBOL का उपयोग commercial और Business Application  के लिए, Fortan का उपयोग Scientific Application के लिए।  इससे उपरोक्त जीचों को देख कर लोगों के दिमाग में यह बात  आयी कि की क्यों न एक अलग लैंग्वेज को विकशित करें जो इन सभी के लिए एक general purpose programming language को बनाया गया। इसको develop करने के लिए International Committees का गठन किया गया था। उसके परिणाम स्वरूप आलगोल 60 का अविष्कार हुंआ। जो इतना popular नहीं हो पाया। इसका वजह था इसका जायदा Abstract और General होना था।


इसको बेहतर बनाने  लिए एक नया भाषा तैयार किया गया Cambridge University के अंदर जिसको CPL ( Combined Programming Language ) कहते हैं। लेकिन यह लैंग्वेज बहुत ही कठिन था इस दृश्टिकोण से की इसमें जायदा features था और यह बहुत ही कठिन सिखने में था। 


इसीलिए Martin Richards ने Cambridge University में, CPL के features का कम किया और एक नया Programming Language को बनाया था - BCPL ( Basic Combined Programming Language ). 


किन्तु भाग्य से कम Powerful और बहुत ही जायदा specific था। Ken Thompson ने AT और T's Bell Labs पर , B Language को develop किया। उसी समय में जब simplify कर CPL भाषा का भी हो रहा था।  किन्तु BCPL के तरह , यह भी बहुत जायदा specific था। 


Ritchie ने B और BCPL के फ़ीचर्स को एक साथ inherit किया और कुछ अपना features को जोड़कर C Language का अविष्कार किया। 



B language सबसे बड़ी कमी थी की इसमें कोई डाटा टाइप को कोई सिद्धांत नहीं था। जिससे सब कुछ मशीन के भाषा में ही लिखना होता था। तथा इसमें अन्य कमिया भी थी जैसे "structure" जैसी सुविधा का न होना।

इन्ही कमियों को दूर करने के लिए Dennis Ritchie ने C प्रोग्रामिंग भाषा में B लैंग्वेज के कमियों को दूर करने के साथ - साथ अपनी तरफ से और भी feature जोड़े। 


C Programming Language के Versions 

 

✅ ANSI द्वारा 1989 में c लैंग्वेज का standard को प्रकाशित किया था। इस स्टैण्डर्ड को ANSI C या "C89" के नाम से भी जानते हैं। 

 

✅ ISO (International Organization फॉर Standardization ) ने  1990 में इस माणक को अनुमति दिया जिसे C90 नाम दिया गया।  

                                  साथ ही 1999 में C को अंतररास्ट्रीय के लिए एक और standard पब्लिश किया गया जिसके बाद C को "C99" कहा गया।  


✅ 2011 में C के लिए एक और माणक को प्रकाशित किया गया था इसे C11 के नाम से जानते हैं और 2018 में C का एक और standard को पब्लिश किया गया जो की latest हैं।


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